Friday, September 30, 2022

इब्रानियों के नाम पत्र, अध्याय - 13 | हिंदी बाइबिल पाठ - Letter Hebrews, Chapter - 13 | Hindi Bible Reading

                   


इब्रानियों के नाम पत्र

अध्याय - 13


सच्चा भ्रातृप्रेम

1) आप का भ्रातृप्रेम बना रहे। आप लोग आतिथ्य-सत्कार नहीं भूलें,
2) क्योंकि इसी के कारण कुछ लोगों ने अनजाने ही अपने यहाँ स्वर्गदूतों का सत्कार किया है।
3) आप बन्दियों की इस तरह सुध लेते रहें, मानो आप उनके साथ बन्दी हों और जिन पर अत्याचार किया जाता है, उनकी भी याद करें; क्योंकि आप पर भी अत्याचार किया जा सकता है।
4) आप लोगों में विवाह सम्मानित और दाम्पत्य जीवन अदूषित हो; क्योंकि ईश्वर लम्पटों और व्यभिचारियों का न्याय करेगा।
5) आप लोग धन का लालच न करें। जो आपके पास है, उस से सन्तुष्ट रहें; क्योंकि ईश्वर ने स्वयं कहा है - मैं तुम को नहीं छोडूँगा। मैं तुम को कभी नहीं त्यागूँगा।
6) इसलिए हम विश्वस्त हो कर यह कह सकते हैं -प्रभु मेरी सहायता करता है। मनुष्य मेरा क्या कर सकता है?
7) आप लोग उन नेताओं की स्मृति कायम रखें, जिन्होंने आप को ईश्वर का सन्देश सुनाया और उनके जीवन के परिणाम का मनन करते हुए उनके विश्वास का अनुसरण करें।
8) ईसा मसीह एकरूप रहते हैं- कल, आज और अनन्त काल तक।
9) नाना प्रकार के अनोखे सिद्धान्तों के फेर में नहीं पड़ें। उत्तम यह है कि हमारा मन भोजन से नहीं, बल्कि ईश्वर की कृपा से बल प्राप्त करे। भोजन-सम्बन्धी नियमों का पालन करने वालों को इन से कभी कोई लाभ नहीं हुआ।
10) हमारी भी एक वेदी है। जो तम्बू की धर्मसेवा करते हैं, उन्हें इस वेदी पर से खाने का अधिकार नहीं है।
11) प्र्रधानयाजक जिन बलिपशुओं का रक्त प्रायश्चित के रूप में मन्दिर-गर्भ में चढ़ाता है, उनके शरीर शिविर के बाहर जलाये जाते हैं,
12) ईसा ने फाटक के बाहर दुःख भोगा, जिससे वे अपने रक्त द्वारा जनता को पवित्र करें।
13) इसलिए हम उनके अपमान का भार ढोते हुए फाटक के बाहर उनके पास चलें;
14) क्योंकि इस पृथ्वी पर हमारा कोई स्थायी नगर नहीं। हम तो भविष्य के नगर की खोज में लगे हुए हैं।
15) हम ईसा के द्वारा ईश्वर को स्तुति का बलिदान अर्थात् उसके नाम की महिमा करने वाले होंठों का फल-निरन्तर चढ़ाना चाहते हैं।
16) आप लोग परोपकार और एक दूसरे की सहायता करना कभी नहीं भूलें, क्योंकि इस प्रकार के बलिदान ईश्वर को प्रिय होते हैं
17) आपके नेताओं को दिन-रात आपकी आध्यात्मिक भलाई की चिन्ता रहती है, क्योंकि वे इसके लिए उत्तरदायी हैं। इसलिए आप लोग उनका आज्ञापालन करें और उनके अधीन रहें, जिससे वे अपना कर्तव्य आनन्द के साथ, न कि आहें भरते हुए, पूरा कर सकें; क्योंकि इस से आप को कोइ लाभ नहीं होगा।
18) आप हमारे लिए प्रार्थना करें। हमें विश्वास है कि हमारा अन्तःकरण शुद्ध है, क्योंकि हम हर परिस्थिति में सही आचरण करना चाहते हैं।
19) मैं विशेष रूप से इसलिए आप लोगों से प्रार्थना का आग्रह करता हूँ कि मैं शीघ्र ही आप लोगों के पास लौट सकूँ।

उपसंहार

20) शान्ति का ईश्वर जिसने शाश्वत विधान के रक्त द्वारा भेड़ों के महान् चरवाहे हमारे प्रभु ईसा को मृतकों में से पुनर्जीवित किया, आप लोगों को समस्त गुणों से सम्पन्न करे, जिससे आप उसकी इच्छा पूरी करें।
21) वह ईसा मसीह द्वारा हम में वह कर दिखाये, जो उसे प्रिय है। उन्हीं मसीह को अनन्त काल तक महिमा! आमेन!
22) भाइयो! आप से अनुरोध है कि आप मेरे इस उपदेश का धीरज के साथ स्वागत करें। मैंने संक्षेप में ही आप को यह पत्र लिखा है।
23) मुझे आप लोगों को एक समाचार सुनाना है। हमारे भाई तिमथी रिहा कर दिये गये हैं। यदि वह समय पर पहुँचेंगे, तो मैं उनके साथ आप से मिलने आऊँगा।
24) आपके सभी नेताओं को और सभी सन्तों को नमस्कार: इटली के भाई आप लोगों को नमस्कार कहते हैं।
25) आप सबों पर कृपा बनी रहे।

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